गिरी शिखरोंसे घने वनोसे तुम अविरत बहते हो
कितनी बाधाएँ और संकट हंसकर सह लेते हो
जीवन जीना क्या होता है क्यों न सीखे तुमसे
मंजिलतक रुक न पाए यही सोच हो इस पलसे
कितनी बाधाएँ और संकट हंसकर सह लेते हो
जीवन जीना क्या होता है क्यों न सीखे तुमसे
मंजिलतक रुक न पाए यही सोच हो इस पलसे