Tuesday, 18 June 2013

परमात्माकी अद्भुत रचना इस धरतीपर एक से एक 
मानव तुझसा बुद्धिमान पर नहीं कोई उनमे एक 
हम सब मिलकर इस धरतीको सवांरते रहते है 
हाथिसे चीटीतक जीव  कभी न पीछे हटते है   
तू एक ऐसा निर्दयी सब जीवों का अपराधी है 
हम सबके सभी दुखों का तू एकमात्र कारण है 
जो तू अपनी बुद्धि का सदुपयोग न कर पाएगा 
ईश्वर  भी अपनी श्रेष्ठ कृतिपर पछताएगा