श्री
चलो जलायें दीप वहां जहां अभीभी अंधियारा है
नवसंवत्सरनेभी बन कठोर जिनसे मुख मोड है
म्लानवदन पर घोर निराशाके बदल गहरे छाये है
जीवनकी अग्निपरीक्षाने जिनसे हर सुख छीना है
उनके मुख खिल जाये हम ऐसा कोई जतन करें
चलो जलायें दीप वहां जहां अभीभी अंधियारा है
सौ उषा लेले ०५११२०१३