Tuesday, 5 November 2013

                                 श्री 


चलो जलायें दीप वहां जहां अभीभी अंधियारा है

नवसंवत्सरनेभी बन कठोर जिनसे मुख मोड है 

म्लानवदन पर घोर निराशाके बदल गहरे छाये है 

जीवनकी अग्निपरीक्षाने जिनसे हर सुख छीना है  

उनके मुख खिल जाये हम ऐसा कोई जतन करें

चलो जलायें दीप वहां जहां अभीभी अंधियारा है

सौ उषा लेले ०५११२०१३

No comments:

Post a Comment