कितने ही घोटाले करलो यहाँ किसीको खतरा नहीं
सोयी रहती है जनता जागने के कोई आसार नहीं
अगर विद्रोहका स्वर फूटे तो दब जाता है कुछ ऐसे
पतझड की बौछार में नन्हा कोई फूल मिट जाए जैसे
सत्ताकी गलियों में अनगिन गुनाह पनपते रहते हैं
यहाँ सज्जन सभी सदा मौनव्रत को श्रेष्ट समझते हैं
हम नित्यही अपने आदर्षों को लज्जित करते हैं
फिरभी रामकृष्ण को अपनी विरासत समझते हैं
पता नहीं कब होगा वीरता और साहस का सूर्योदय
कब मिटेगा भीरुताका तमस और अन्यायका विलय
सौ.उषा लेले ३०.९.२०१३
सोयी रहती है जनता जागने के कोई आसार नहीं
अगर विद्रोहका स्वर फूटे तो दब जाता है कुछ ऐसे
पतझड की बौछार में नन्हा कोई फूल मिट जाए जैसे
सत्ताकी गलियों में अनगिन गुनाह पनपते रहते हैं
यहाँ सज्जन सभी सदा मौनव्रत को श्रेष्ट समझते हैं
हम नित्यही अपने आदर्षों को लज्जित करते हैं
फिरभी रामकृष्ण को अपनी विरासत समझते हैं
पता नहीं कब होगा वीरता और साहस का सूर्योदय
कब मिटेगा भीरुताका तमस और अन्यायका विलय
सौ.उषा लेले ३०.९.२०१३