Saturday, 16 November 2013

                                                                                                 श्री 


चलो दिलदार चलो कहीं दूर चलो 

जहाँ नजरोंके पहरे न हो कहीं ऐसी जगह चलो 

जहाँ ये दुनियादारी न हो वफ़ा और बेवफाईके चर्चे न हो 

मेरे और तुम्हारे दरमियाँ जानेमन मेरी हया का नशीला पर्दा न हो 

अवनिसे अम्बर तक खामोशिके संगीतमें मेरे तुम्हारे सिवा कोई न हो 

सौ.उषा लेले १६.११.२०१३ 

Tuesday, 5 November 2013

                                 श्री 


चलो जलायें दीप वहां जहां अभीभी अंधियारा है

नवसंवत्सरनेभी बन कठोर जिनसे मुख मोड है 

म्लानवदन पर घोर निराशाके बदल गहरे छाये है 

जीवनकी अग्निपरीक्षाने जिनसे हर सुख छीना है  

उनके मुख खिल जाये हम ऐसा कोई जतन करें

चलो जलायें दीप वहां जहां अभीभी अंधियारा है

सौ उषा लेले ०५११२०१३